याददाश्त की समस्या के साथ शुरु होता है डिमेंशिया



  • विश्व अल्जाइमर दिवस (21 सितंबर) पर विशेष
  • शुरू में ही लक्षण की पहचान हो जाए तो उपाय संभव: डॉ. देवाशीष

लखनऊ - मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचने से कोई भी डिमेंशिया की चपेट में आ सकता है | इसके अलावा मस्तिष्क में ट्यूमर, सिर पर किसी तरह की चोट लगना, ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक के कारण भी डिमेंशिया हो सकता है | अल्जाइमर एवं डिमेंशिया की रोकथाम, जागरूकता लाने तथा जोखिम को कम करने के उद्देश्य से ही हर साल 21 सितंबर को “विश्व अल्जाइमर दिवस” मनाया जाता है | इस साल इस दिवस की थीम है “डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें”|  अल्जाइमर रोग का सबसे सामान्य रूप डिमेन्शिया है |

हिन्दनगर निवासी वर्षा बताती हैं कि उनकी 60 वर्षीया माँ लुई  बॉडी  डिमेंशिया से पीड़ित हैं | साल 2019 में उनमें डिमेंशिया की पहचान हुई, जो हमारे लिए बड़ा पीड़ादायक रहा | माँ को मनोभ्रम होते हैं, वह कुछ भी सोच लेती हैं , उन्हें यह पता ही नहीं होता है कि वह कहाँ हैं, किसके साथ हैं |यहाँ तक कि  परिवार के सदस्यों या  रिश्तेदारों किसी को भी वह पहचान नहीं पाती हैं|  मनोचिकित्सक ने सलाह दी है कि हम उनकी किसी भी बात को मना न करें उसे स्वीकारें और आगे करने के लिए टाल दें | ऐसे मरीजों की देखभाल करना बहुत मुश्किल भरा काम है | समय से दवा देना, सहानुभूति जताना और प्यार करना बहुत जरूरी होता है |

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्तमान में दुनिया में 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं और हर साल एक करोड़ नए केस सामने आ रहे हैं | डिमेंशिया वर्तमान में सभी बीमारियों में मृत्यु का सातवाँ प्रमुख कारण है और पूरी दुनिया में वृद्धजनों में दिव्यांगता और निर्भरता के मुख्य कारणों में से एक है | इससे न केवल पीड़ित ही प्रभावित होता है बल्कि उसके आस-पास रहने वाले लोग व उसके परिवार के सदस्य भी प्रभावित होते हैं |

डिमेन्शिया एक सिंड्रोम है जो कि याददाश्त की समस्याओं के साथ शुरु होता है |बाद में यह मस्तिष्क के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है | इस कारण व्यक्ति को बातचीत करने, रोज़मर्रा के कामों को करने में, उसकी मनोदशा में, सोचने की प्रक्रिया में नुकसान पहुंचता है यहाँ तक कि व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी आती है और उसके व्यक्तित्व में भी बदलाव आता है |  

बीमारी के शुरुआती दौर में व्यक्ति परिचित स्थानों को भूल जाता है व उसे घटनाक्रम को याद करने में समस्या आती है | धीरे-धीरेलक्षण और अधिक स्पष्ट हो जाते हैं | इस अवस्था में व्यक्ति हाल की घटनाओं व परिचितों के नाम भूलने लगता है, बातचीत करने में कठिनाई, स्वयं की देखभाल के लिए दूसरों की जरूरत पड़ती है | घर में खोया-खोया रहता है,  बार –बार एक ही प्रश्न को पूछता है व भटकता है और अंत में वह अवस्था आती है जब व्यक्ति निष्क्रिय एवं दूसरों पर पूरी तरह निर्भर हो जाता है | इस अवस्था में रोग के अधिक लक्षण स्पष्ट होते हैं तथा याददाश्त में गड़बड़ी गंभीर हो जाती है | इस स्थिति  में व्यक्ति समय व स्थान से अंजान हो जाता है |  दोस्तों व रिश्तेदारों को नहीं पहचान पाता है, स्वयं की देखभाल के लिए दूसरे लोगों की आवश्यकता पड़ती है, चलना फिरना कठिन हो जाता है | व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है यहाँ तक कि व्यक्ति आक्रामक हो जाता है |

मुख्यतः डिमेन्शिया तीन प्रकार का होता है-वैसकुलर डिमेन्शिया, लुई  बॉडी डिमेन्शिया तथा फ्रंट टेम्पोरल डिमेन्शिया | वैस्कुलर डिमेन्शिया में मस्तिष्क को रक्त ले जाने वाली धमनियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं फलस्वरूप मस्तिष्क का कुछ भाग आक्सीजन की कमी के कारण मृत हो जाता है | इस प्रक्रिया को स्माल स्ट्रोक भी कहते हैं |लेवी बॉडी डिमेन्शियासे ग्रसित व्यक्तियों में अल्जाइमर व पारकिंसन दोनों ही रोगों के लक्षण  मिलते जुलते हैं | इन रोगियों में व्यक्तियों व जानवरों से संबन्धित दृष्टि मतिभ्रम अधिक होता है एवं भ्रम का स्तर पूरे दिन भर में घटता या बढ़ता रह सकता है | फ्रंट टेम्पोरल डिमेन्शिया में व्यक्ति के व्यक्तित्व में काफी बदलाव आता है तथा याददाश्त संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं |

बलरामपुर अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष डा. देवाशीष ने बताया कि यदि शुरुआत में ही डिमेन्शिया के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो दवाओं के द्वारा रोका जा सकता है, नहीं तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और लाइलाज हो जाती है | इसकी दवा बहुत सावधानीपूर्वक व प्रभावी खुराक मरीज़ को दी जाती है ताकि इसके दुष्प्रभाव कम से कम हों | प्रत्येक दवा के साथ उसके दुष्प्रभाव व अन्य खतरे जुड़े होते हैं | डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है लेकिन दवा के द्वारा लक्षणों में कुछ सुधार लाया जा सकता है |

इस बीमारी से बचाव के लिए सुझाव है कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं मनोरंजनात्मक गतिविधियों में स्वयं को व्यस्त रखें। शतरंज या स्क्रेबल खेलें, किताबें पढ़ें, योगा एवं ध्यान लगाएं, संगीत सुने, दोस्तों परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों के साथ बाहर घूमने जाएं या वाद्य यंत्र बजायें | अपनी रुचि का कोई भी काम करें |