एमडीआर टीबी की 10 नई दवाओं पर चल रहा शोध : डॉ. बेहरा



  • रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग ने ड्रग रजिस्टेंट टीबी पर आयोजित की राष्ट्रीय कार्यशाला
  • कुलपति ने कहा – उत्तर भारत के नौ राज्यों को नेतृत्व देने को केजीएमयू तैयार
  • टीबी एक बीमारी के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक समस्या भी : डॉ. सूर्यकान्त
  • डॉ. भारद्वाज ने कहा- डॉ. सूर्यकान्त के नेतृत्व में यूपी में क्षय उन्मूलन की बदली तस्वीर

लखनऊ - किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग, यूपी चैप्टर ऑफ़ इन्डियन चेस्ट सोसायटी व आईएमए- एएमएस के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को ड्रग रजिस्टेंट (डीआर) टीबी पर कलाम सेंटर में हाइब्रिड मोड में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गयी । कार्यशाला का शुभारम्भ केजीएमयू के कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने इलेक्ट्रानिक लैम्प लाइटिंग से किया, इसका उद्देश्य धुंआ रहित और पर्यावरण अनुकूलन की महत्ता को बताना था ।  

इस अवसर पर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के नेशनल टास्क फ़ोर्स के राष्ट्रीय सलाहकार पद्मश्री डॉ. दिगम्बर बेहरा ने कहा कि दुनिया में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी से निजात दिलाने के लिए 10 नई दवाओं पर शोध चल रहा है । इन दवाओं के आ जाने से एमडीआर टीबी मरीजों का इलाज और आसान हो जाएगा । डॉ. बेहरा ने टंडन माथुर मेमोरियल व्याख्यान के तहत भारत में डीआर टीबी की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियों व तैयारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाया जा रहा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम दुनिया के बड़े और प्रमुख कार्यक्रमों में अपनी जगह बना चुका है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कुलपति डॉ. पुरी ने कहा कि देश में टीबी के कुल मरीजों में से 25 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के हैं, जो चिंताजनक है ।  इसलिए हमें पूरी मुस्तैदी के साथ यूपी से टीबी को ख़त्म करना होगा तभी देश से टीबी का खात्मा हो सकेगा ।  उत्तर भारत के नौ राज्यों में क्षय उन्मूलन के लिए केजीएमयू नेतृत्व देने को तैयार है । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में डीआर टीबी मरीजों के बेहतर उपचार के लिए 20 बेड की व्यवस्था है, जो कि प्रदेश का सबसे बड़ा डीआर टीबी सेंटर है । हमारा प्रयास है कि डीआर टीबी मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसके लिए रेस्परेटरी मेडिसिन के साथ ही माइक्रोबायोलाजी और बाल रोग विभाग हर वक्त पूरी सक्रियता से तैयार रहते हैं ।

कार्यशाला में नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. ए. के. भारद्वाज ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की टीबी मरीजों को गोद लेने और उन्हें पोषक आहार प्रदान कराने के साथ ही भावनात्मक सहयोग प्रदान करने की पहल को सराहा । उन्होंने कहा कि उनकी इस पहल से टीबी मरीजों को कम समय में बीमारी से छुटकारा पाने में मदद मिल रही है । इसके तहत वयस्कों को 1100 रुपये की पोषण पोटली और बच्चों को 750 रुपये की पोषण पोटली प्रदान की जा रही है । इसके अलावा मरीजों को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं ।

इस अवसर पर नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स - नार्थ जोन के प्रमुख और रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी चिकित्सकों व अन्य के प्रति आभार जताया । उन्होंने कहा - टीबी केवल एक बीमारी ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या के रूप में भी है । जो महिलाएं टीबी ग्रसित हो जाती हैं उनका तलाक तक हो जाता है । टीबी ग्रसित छोटे बच्चे खेलकूद से वंचित रह जाते हैं और अगर घर के युवा को टीबी हो जाती है तो कमाई का जरिया बंद हो जाता है । इसलिए टीबी के लक्षण (दो हफ्ते से अधिक खांसी-बुखार आने, वजन कम होने) नजर आयें तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर मुफ्त जांच और इलाज कराएं । इसमें देरी करना भारी पड़ सकता है ।   

कार्यशाला को प्रमुख रूप से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, एसजीपीजीआई की डॉ. ऋचा मिश्रा, मुम्बई-थाणे से डॉ. अल्पा दलाल, एनआईआरटी चेन्नई से डॉ. बालाजी, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ. सृष्टि दीक्षित, दिल्ली से डॉ. संगीता शर्मा ने संबोधित किया । इस अवसर पर बच्चों में ड्रग रजिस्टेंट टीबी पर पैनल डिस्कशन में केजीएमयू के बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. शैली अवस्थी, डॉ. संगीता शर्मा, डॉ. सारिका गुप्ता, डॉ. सुरुचि शुक्ला और डॉ. अंकित कुमार ने भाग लिया ।  

कार्यशाला में नार्थ जोन के नौ राज्यों के मेडिकल कालेजों के डाक्टर और जिला क्षय रोग अधिकारी समेत करीब 300 चिकित्सक ऑनलाइन और 150 लोग फिजिकली जुड़े, इस तरह इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में कुल 450 लोगों ने प्रतिभाग किया । इसके अलावा राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता, उप राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. ऋषि सक्सेना, रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आर. ए. एस. कुशवाहा, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. संतोष कुमार, डीआरटीबी सेंटर के सभी सदस्य, रेजिडेंट डाक्टर, पीएचडी छात्र-छात्राएं, अन्य स्टाफ कार्यशाला में उपस्थित रहे । कार्यशाला को तकनीकी रूप से जानसन एंड जानसन, डॉक्टर्स फ़ॉर यू ने सहयोग प्रदान किया ।