वृद्धों को अपनापन देकर जीवन को सरल बनायें : डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी



  • “स्टेकहोल्डर कन्सल्टेशन ऑन एल्डरली फ्रैन्डली कम्युनिटी” पर सेमिनार

लखनऊ - स्वयंसेवी संस्था एविटॉस हेल्थ केयर ने वृहस्पतिवार को  “स्टेकहोल्डर कन्सल्टेशन ऑन एल्डरली फ्रैन्डली कम्युनिटी” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया|
इस अवसर पर चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश की पूर्व महानिदेशक डा. मिथिलेश चतुर्वेदी  ने कहा कि जिस प्रकार  युवा भौतिकता की दौड़  में धर्नाजन के लिए  अपने घरों से दूर महानगरों एवं विदेशों की ओर पलायन कर रहे है। उससे वृद्ध मां-बाप अपने परिवार व स्वजनों के अभाव में अकेले पड़ते  जा रहे है।  इससे उन्हें भावनात्मक, सामाजिक, स्वास्थ्य एवं आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है। यदि यही हाल रहा तो भारत जैसे युवा राष्ट्र को वृद्ध राष्ट्र की ओर बढने से रोका नही जा सकता, जिसके लिए स्वयं को एवं आम जनमानस को अभी से तैयार होने की जरूरत है ताकि बुढ़ापे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा, सहयोगी समाज एवं साथ-साथ बृद्धजनों को स्वसहयोगी बनाने की आवश्यकता होगी।

राजकीय नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय के पूर्व महानिदेशक डा0 वी0 प्रसाद ने कहा कि बुढ़ापे की समस्याओं का समाधान दवा कम और अपनों के भावनात्मक एहसास की जरूरत  ज्यादा है क्योंकि बुढ़ापे की ज्यादातर बीमारियां मानसिक सोच एवं शरीर में उत्पन्न रासायनिक बदलावों की उपज ज्यादा होती है जिसका निदान एल्डरली फ्रैन्डली वातावरण से दूर किया जा सकता है।

इस मौके पर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अरविन्द कुमार भारद्वाज ने बताया कि परिवार एवं बच्चों द्वारा उपेक्षित एवं प्रताड़ित  बुजुर्गों हेतु भारत सरकार ने, ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कल्याण अधिनियम 2007 बनाया है।‘  इसके तहत बुढापे में 10,000 तक की भरण-पोषण की धनराशि एवं परिवार एवं बच्चों द्वारा उपेक्षा व घर से बेदखली पर 5000 रूपये तक का जुर्माना तथा तीन माह की कैद का प्रावधान है लेकिन राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर हेल्प लाइन एवं टोल  फ्री नम्बर की आवश्यकता बुजुर्गो के लिए अतिआवश्यक हैजो सरकारों को करनी चाहिए।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की जीरियाट्रिक मेंटल हेल्थ  की प्रोफेसर  डा0 निशामणि पाण्डे ने बुजुर्गों को सकारात्मक एवं खुशहाल वातावरण दिये जाने पर बल दिया। श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (एसआरएमयू) के सोशल वर्क डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डा0 अन्विता वर्मा ने कहा कि विकसित देशों की तर्ज पर हमारे देश में भी टाइम बैंक बनाने की आवश्यकता है ताकि लोग अपने प्रतिदिन के जीवन से कुछ समय दूसरों के लिए समय निकाल सकें।

साई मेडिकल कालेज के डा0 राजीव नयन शर्मा व डा0 बिनोद कुमार यादव ने नेचुरोपैथी, योग एवं भारतीय खान-पान के जरिये बुजुर्गों के अवसाद को कम करने पर बल दिया।
एविटास हेल्थ केयर की ओर से डा0 गीता द्विवेदी ने बताया कि एविटास हेल्थ केयर का मुख्य उद्देष्य वृ़द्धजनों के लिये एक ऐसी व्यवस्था को बनाना है जिसमें हर उम्र के लोगों विशेष रुप से बुजुर्गां को गुणवत्ता पूर्ण और खुशहाल जीवन जीने में मदद मिल सके। एविटास हेल्थ केयर बुजुर्गां की कस्टमाइज्ड 360 डिग्री केयर के लिये वन स्टॉप सोल्यूशन  के मॉडल पर कार्य करेगा जिससे कि बुजुर्गां की जरुरत एक ही जगह से पूरी हो सके वबुजुर्गों  और उनकी देखभाल करने वालों को आसानी हो सके। एविटास हेल्थ केयर की सेवाओं में घर पर स्वास्थ्य एवं डाइग्नोस्टिक सेवायें, दैनिक जीवन के लिये सहायक सेवाओं और सामाजिक भागीदारी के लिये सेवाओं को शामिल किया गया है।   

यमुना एपार्टमेंट के रेजीडेंस वेल्फेयर एसोसिएशन सचिव प्रतिमा ने कार्ययोजना प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि हर आपार्टमेंट में सोसाइटी के सहयोग से बजुर्गों के सहायतार्थ हेल्पडेस्क स्थापित कर परामर्श एवं अन्य दैनिक सहयोग का प्रयास किया जाएगा। अन्त में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन पूर्व जिला मलेरिया अधिकारी डी0एन0शुक्ला ने किया।