बाल और नाखून छोड़कर कहीं भी हो सकती है टीबी:डॉ आभा



•    स्टेट टीबी अधिकारी ने कहा, क्षय रोगी को दवा और हौसला दोनों दीजिए
•    ‘रूबरू-एक मुलाकात अपनों की बात-अपनों के साथ’ कार्यक्रम हुआ
•    स्वास्थ्य अधिकारी और टीबी चैंपियंस ने विस्तार से रखी अपनी बात

लखनऊ -  क्षय रोग (टीबी यानि ट्यूबरक्लोसिस) कोई आनुवंशिक रोग नहीं बल्कि यह एक संक्रमण है। समय से इसका इलाज होने पर मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। यह कहना है डॉ आभा वर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय कार्यक्रम उत्तर प्रदेश का। डॉ आभा वर्मा मंगलवार को विश्व टीबी दिवस के तहत ‘रूबरू-एक मुलाकात अपनों की बात-अपनों के साथ’ आयोजन को संबोधित कर रही थी। वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि टीबी बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसलिए टीबी का लक्षण दिखते ही जांच अवश्य करवाएं।

स्टेट क्षय रोग अधिकारी संतोष गुप्ता ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोमवार को कानपुर से आए एक ईमेल का जिक्र किया। ईमेल भेजने वाले ने बहु को टीबी हो जाने के कारण संबंध खत्म करने की बात की थी। इसी आधार पर पता बदलने का निवेदन किया था। उन्होंने बताया कि कुछ लोग जानकारी के अभाव में इस तरह की हरकते कर रहे हैं। ऐसे में लोगों के बीच और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। टीबी मरीज को प्यार और हौसला की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कोविड के कारण टीबी कार्यक्रम थोड़ा प्रभावित हुआ है लेकिन कोरोना काल में निक्षय पोषण योजना के तहत हर मरीज को 500 रुपए रुपये दिए जाते रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2025 तक देश और प्रदेश को क्षय रोग मुक्त बनाने की दिशा उठाए जाने वाले कदम का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बलगम की जांच के लिए पोस्टल विभाग से हुआ करार बेहतरीन परिणाम दे रहा है। अब पहले की तुलना में बहुत कम समय शीघ्र और सटीक जांच हो पा रही है। उन्होंने बताया कि लखनऊ के सभी टीबी चैंपियंस में आधे से अधिक लोगों ई-लर्निंग कोर्स पूरा कर लिया है।

इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ कैलाश बाबू, जिला क्षय रोग सेल की पूरी टीम और जनपद के 15 से अधिक टीबी चैंपियंस मौजूद रहे। आयोजन के दौरान प्रतिज्ञा पत्र पर सभी ने हस्ताक्षर किए और टीबी गान भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन मुक्ता शर्मा, प्रोजेक्ट लीड  यूनाईट टू एक्ट – वर्ल्ड विजन इंडिया ने किया। इस अवसर पर स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), जीत, यूपीटीएसयू और पाथ के स्टेट प्रतिनिधि मौजूद रहे।

गुबारों में उड़ाये सवाल : कार्यक्रम के दौरान रोचक सवालों की पर्ची के गुब्बारे उड़ाये गए। सवाल जैसे टीबी कितने प्रकार के होता है ? टीबी कैसे फैलता है ? क्या इलाज के दौरान भी जांच करानी चाहिए ? इस दौरान विषय विशेषज्ञों ने सभी सवालों के विस्तारपूर्वक जवाब दिए। सही जवाब देने वाले टीबी चैंपियंस को उपहार भी दिए गए।

चैंपियंस ने सुनाई अपनी कहानी : टीबी चैंपियन सुनीता तिवारी, 35 वर्ष ने बताया कि वर्ष 2018 में तत्कालीन डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में टीबी की जांच कराई। इसमें उन्हें एक्सटापलमोनरी टीबी निकली। बीमारी पता चलते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से छह माह तक दवा खाई। इस बीमारी के दौरान पति और बच्चे ने पूरा समर्थन किया। हालांकि बीमारी के दौरान अन्य लोग गलतफहमी के करण बहुत दूरी बनाए हुए थे। सुनीता ने बताया कि इलाज के दौरान मकान मालिक ने कमरा खाली करवा दिया तो सास-ससुर ने टीबी को छुआछूत का रोग मानते हुए कई बार अमानवीय व्यवहार किया। सुनीता ने बताया कि अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। आप लोग भी नियमित दवा खाइए और प्रोटीन वाला आहार लीजिए। यह बीमारी स्वतः खत्म हो जाएगी। वहीं दूसरी टीबी चैंपियन सुनीता राजन ने बताया कि गर्दन के पास गांठ हो गई थी। कई महीने निजी अस्पतालों में इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में मैं सरकारी अस्पताल गई जहां बताया गया कि मुझे टीबी है। जांच के बाद टीबी की नियमित दवा खाई और मैं बिल्कुल ठीक हूं।