मच्छर जनित बीमारियों को रोकने में सभी का सहयोग जरूरीः डा0 विकास सिंघल



लखनऊ - जिला स्वास्थ्य  समिति के सहयोग से फेमिली  हेल्थ इण्डिया द्वारा संचालित एम्बेड परियोजना के तहत   उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के जिला समन्वयक, नगर समन्वयक एवं प्रोग्राम एसोसिएट सहित  26 सदस्यों  का शनिवार को आनलाइन वेबिनार आयोजित हुआ।

उत्तर प्रदेश के डेंगू एवं वेक्टर बार्न  डिजीज के संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल ने डेंगू नियंत्रण के लिए  डेंगू मरीजों के उपचारात्मक प्रबन्धन एवं डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज मच्छरों के पनपने वाले स्थलों के निरस्तीकरण को अनिवार्य गतिविधि के रूप में समझाया |  उन्होंने डेंगू के मच्छरों के पनपने वाली जगहों,  डेंगू के गंभीर लक्षणों जैसे उल्टियां बंद न  होना, पेट में दर्द, नाक एवं मसूड़ों से खून आना आदि शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया |  उन्होंने ऐसे मरीजों  को तत्काल अस्पताल  में भर्ती कर उपचार कराये जाने को जरूरी बताया।

उन्होंने बताया- डेंगू प्रभावित व्यक्ति को मच्छरदानी में सोना चाहिए  जिससे कि  किसी और को संक्रमण न होने   पाए। डेंगू पीड़ित व्यक्ति के  शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए मरीज को ओ.आर.एस का घोल पीने की सलाह दें, किसी भी प्रकार से घर के आस-पास एवं घरों में सात  दिनों तक किसी भी बर्तन में पानी जमा न  होने दें, हर रविवार मच्छरों के लार्वा  को, कूलर में भरे पानी एवं फ्रिज के पीछे की ट्रे और घरों का पानी साफ करें | उन्होंने बताया कि डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज एजेप्टाई नामक मच्छर अपने अण्डों को पानी की सतह से ऊपर  सख्त सतही स्थानों पर ही देते है।

डॉ, विकास सिंघल ने मच्छरों के जीवन चक्र पर चर्चा करते  करते हुए बताया कि पानी में इनके तीन  चरण होतें हैं उसके बाद यह  हवा में उड़ जातें हैं | अतः इन तीन चरणों में इनको नष्ट किया जा सकता है। इसके साथ ही  यह सूखी जगहों पर भी साल भर बाद भी  पानी मिलने पर पुनः जीवित हो सकतें हैं। उन्होंने प्रतिभागियों के प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के दौरान यह  बातें बताई।