पारंपरिक शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा अति आवश्यक



लखनऊ - आज नेशनल पीजी कॉलेज, लखनऊ प्राचार्य प्रोफेसर देवेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में एवं भौतिक तथा इलेक्ट्रॉनिक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर अपर्णा सिंह के संचालन में  नेशनल साइंस डे मनाया गया जिसके मुख्य अतिथि कृष्णा नंदन शर्मा कंट्री हेड आरईबीआईएस (प्राइवेट) लिमिटेड, सिंगापुर ने एप्लीकेशंस आफ प्लाज्मा टेक्नोलॉजी एंड रोबोटिक्स पर अपने विचार एवं अनुभव साझा करते हुए बताया कि आज के युग में पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा की जानकारी अति आवश्यक है अगर आप विकसित भारत को बनाने में तकनीकी ट्रेनिंग चाहते हैं तो हमारी इंडस्ट्री में चल रहे प्रोजेक्ट में आपको अवसर मिलेगा।

जंतु विज्ञान के  विभागाध्यक्ष डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार ने छात्र-छात्राओं को बताया कि हर साल 28 फरवरी का दिन भारत में National Science Day के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमन ने “रमन प्रभाव" की खोज की थी। अपनी इस अद्भुत खोज के लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बाद में वह वैज्ञानिक क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए। जंतु विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अर्चना सिंह ने कहा कि इस साल नेशनल साइंस डे की थीम "विकसित भारत के लिए भारतीय स्वदेशी प्रौद्योगिकी" (Indigenous Technologies for Viksit Bharat) रखी गई है l यह दिन समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और छात्रों को विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। आपने बताया कि विज्ञान ने कई तरह से समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। सेहत से लेकर कृषि, संचार, तकनीक, अंतरिक्ष खोज जैसी कई नामुमकिन चीज़ें साइंस के जरिए ही तो मुमकिन हो पाई हैं।  वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ अभिजीत चैटर्जी ने कहा कि विज्ञान के बिना सृष्टि की रचना ही संभव नहीं है कण- कण में विज्ञान समाया हुआ है। कार्यक्रम में 148 छात्र-छात्राओं तथा असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर मैमूना यासमीन, डॉ रितिका सिंह, अभिषेक मिश्रा, शिखा अग्रवाल एवं अनुज सिंह उपस्थित रहे।