कोरोना काल में डाक्टर की सलाह पर ही बच्चे को दें कोई भी दवा : डॉ. पियाली



  • लक्षण देखकर नहीं बता सकते वैरिएन्ट, जांच जरूर कराएं

लखनऊ -  कोरोना और कोविड का नया  वैरिएंट ओमीक्रान   तेजी से पैर पसार रहा है |  विशेषज्ञों का कहना है कि ओमीक्रान  डेल्टा  वैरिएन्ट के मुकाबले  ज्यादा संक्रामक है जबकि उतना घातक नहीं है । विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ओमीक्रान  बच्चों को  बहुत अधिक प्रभावित  नहीं कर रहा है। इसके बाद  भी चिंता की बात यह है कि बच्चों का टीका अभी  नहीं आया है | ऐसे में उनके संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है |

संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान  संस्थान (एसजीपीजीआई) की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.  पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि यदि बच्चे को तेज बुखार हो , सांस तेज़ चले या पसलियाँ चलें,  भूख न लगे तो बच्चे के संक्रमित होने की संभावना हो सकती है,  ऐसे में  चिकित्सक से संपर्क करें। हम सिर्फ लक्षण देख कर ही  वैरिएन्ट  का पता नहीं लगा सकते हैं | इसके लिए हमें जांच करानी जरूरी होती है | यदि कोई बच्चा संक्रमित हो जाता है तो उसे होम आइसोलेशन में रखना है  या अस्पताल में भर्ती कराना है, इसका निर्णय डॉक्टर की सलाह पर ही लें ।  चिकित्सक बच्चे की आयु और उसकी स्थिति को देखकर ही निर्णय लेंगे।

यदि एक  वर्ष की आयु के बच्चे को 100 डिग्री से  ऊपर बुखार  तीन  दिन  के बाद भी बना हुआ है, तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर जाएं। हल्की  खांसी, जुकाम - बुखार है तो चिकित्सक की सलाह पर  पैरासिटामोल देकर उसका बुखार नियंत्रित करने का प्रयास करें। साफ– सफाई का विशेष ध्यान रखें और यदि खांसी तकलीफदेह है तो डॉक्टर की सलाह से एंटी एलर्जी दवा दे सकते हैं। यदि बच्चे को फेफड़े, दिल या किडनी से संबंधित कोई भी बीमारी है तो उसकी दावा चलने दें व तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। बच्चे को कोई भी दवा बिना चिकित्सक की सलाह के न दें |

डा. पियाली ने बताया –  मल्टी इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (एमआईएस-सी) में शरीर के एक से ज्यादा तंत्र कोविड संक्रमण की  चपेट में आ जाते हैं। यदि बच्चे को दस्त और उल्टी  हो रही है तथा सांस भी तेज चल रही है तो इसका मतलब है कि इसमें आँत  और छाती दोनों ही प्रभावित हैं | इसी प्रकार यदि हार्टबीट बहुत तेज है और निमोनिया भी है तो हृदय के साथ-साथ छाती भी शामिल है।  हर अंग  को  यह वायरस प्रभावित  कर सकता है। यदि एक से ज्यादा अंग संक्रमित हैं  तो इससे मल्टी इंफ्लामेट्री कहते हैं। एमआईएस-सी  के लक्षण दिखने पर बच्चे का इलाज अस्पताल में ही होना चाहिए| आप कोविड सेंटर पर जाकर या टेलीमेडिसीन  के माध्यम से भी चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं |

बच्चे को संतुलित आहार दें,  जिसमें सभी  विटामिन, वसा कार्बोहाइड्रेट, वसा प्रोटीन, मिनरल्स हों | इससे बच्चा शीघ्र ठीक होगा  और आगे भी  संक्रमण से लड़ पाएगा। यदि बच्चा छह  महीने से कम का है और मां के दूध पर निर्भर है तो  स्तनपान जारी रखें।

डा पियाली ने बताया-  यदि मां को कोविड का टीका लगा  है  और बच्चे को स्तनपान करा रही है तो कुछ एंटीबॉडी नवजात को अपने दूध  के माध्यम से पहुंचाती  है। यदि मां संक्रमित  है तो भी वह बच्चे को स्तनपान अवश्य कराएं पर स्तनपान कराते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें और हाथों को जरूर साफ रखें तथा  सेनिटाइजर का प्रयोग करें।

बच्चों को संक्रमित होने से बचाने के लिए कोविड गाइडलाइन का पालन करना अति आवश्यक है। मास्क लगाना, दो गज की दूरी बनाए रखना, हाथों को साबुन से धोना तथा  सेनिटाइजर का प्रयोग करते रहना, भीड़ वाली जगहों से बचना और 18 वर्ष की आयु से अधिक लोगों को वैक्सीनेशन जरूर कराना चाहिए।