संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर हो जोर



  • मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में हुई डीटीएफ और डीएचएस की बैठक
  • एक अप्रैल से संचारी रोग नियंत्रण अभियान और सत्रह अप्रैल से होगी दस्तक पखवाड़े की शुरूआत

गोरखपुर - जिले में संचारी रोगों का नियंत्रण तभी संभव है जबकि स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य सभी सम्बन्धित विभाग अपने अपने हिस्से के दायित्वों सम्पूर्ण का निर्वहन करें । साथ ही सम्बन्धित विभागों में अन्तर्विभागीय समन्वय होना भी अति आवश्यक है । यह दिशा निर्देश मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा ने सोमवार को देर शाम तक चली जिला टास्क फोर्स (डीटीएफ) और जिला स्वास्थ्य समिति (डीएचएस)  के बैठक के दौरान दीं । जिले में एक अप्रैल से प्रस्तावित संचारी रोग नियंत्रण अभियान और सत्रह अप्रैल से प्रस्तावित दस्तक पखवाड़े के बारे में बैठक में विस्तार से चर्चा की गयी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान में ग्राम्य विकास व पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, नगर विकास विभाग, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, दिव्यांग कल्याण विभाग, सूचना विभाग, संस्कृति विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक साथ गतिविधियां करते हैं । स्वास्थ्य विभाग नोडल विभाग की भूमिका मंस होता है । इस बार के संचारी रोग नियंत्रण अभियान में हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय, कोविड से बचाव के उपाय, मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के उपाय, एच तीन एन टू वायरस से बचाव और लेप्टोस्पाईरोसिस व स्क्रबटाइफस से बचाव के उपायों के बारे में जनजागरूकता फैलाना एवं प्रभावी नियंत्रण के उपाय करना शामिल है ।

सीएमओ ने बताया कि दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर भ्रमण कर जनजागरूकता के साथ साथ पांच प्रकार की सूचियां तैयार करेंगी । इन सूचियों में बुखार के रोगियों, इन्फ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) रोगियों, संभावित क्षय रोगियों, कुपोषित बच्चों और मच्छरों के अधिक प्रजजन वाले मकानों की सूचियां शामिल हैं । विभिन्न बीमारियों के लक्षण वाले मरीजों को सरकारी अस्पताल के इलाज से जोड़ा जाएगा जबकि मच्छरों के घनत्व वाले मकानों में मच्छरों को नष्ट किया जाएगा ।

वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी सिंह ने दोनों प्रमुख अभियानों के बारे में प्रस्तुति दी । पाथ संस्था के जिला समन्वयक अभिनय कुशवाहा ने पूर्व में चले अभियानों का फीडबैक साझा किया । दोनों प्रस्तुतियों और फीडबैक के आधार पर सीडीओ ने दिशा निर्देश दिया कि शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग और नगर निकाय विभाग की भूमिका दोनों अभियानों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है । बीमारियों की रोकथाम और सुपोषण का संदेश जन जन तक इन अभियानों के जरिये पहुंचाया जाना चाहिए । खासतौर पर दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समन्वय स्थापित करते हुए बुखार पीड़ित लोगों को सूचीबद्ध करें और कुपोषित बच्चों को भी ढूंढ कर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से जोड़ें।

बैठक का संचालन जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पंकज आनंद ने किया । इस अवसर पर जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ राजेंद्र ठाकुर, महिला अस्पताल के एसआईसी डॉ जय कुमार, एसीएमओ डॉ नंद कुमार, डॉ एके चौधरी, डीटीओ डॉ गणेश प्रसाद यादव, डीडीटीओ डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, सहायक मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा, राजेश कुमार चौबै, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से सुरेश सिंह चौहान, पवन कुमार गुप्ता, डॉ अर्चना, डॉ मुकुल, डॉ कमलेश, विजय श्रीवास्तव और आदिल प्रमुख तौर पर मौजूद रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और सीफार के प्रतिनिधियों ने भी बैठक के दौरान प्रस्तुति दी।

इन मुद्दों पर हुई चर्चा : बैठक के दौरान विशेष टीकाकरण अभियान के फीडबैक, बाल स्वास्थ्य, नवजात शिशु स्वास्थ्य, छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस और सभी राष्ट्रीकृत कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई । सीडीओ ने निर्देश दिया कि अगर किसी भी कार्यक्रम में लगातार किसी ब्लॉक की प्रगति कमजोर दिख रही है तो सभी आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और सुधार न होने पर वेतन कटौती एवं प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की जाए ।