एमएमडीपी किट देकर सीखा रहे हैं हाथीपांव प्रबन्धन



  • जिले में इस साल 700 से अधिक मरीजों को दी जा चुकी है एमएमडीपी किट
  • चौदह ब्लॉक, शहरी क्षेत्र और फाइलेरिया यूनिट पर बांटी जा चुकी है किट

गोरखपुर - जिले में स्वास्थ्य विभाग की टीम फाइलेरिया यानी हाथीपांव के मरीजों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) किट देकर प्रभावित अंगों की साफ सफाई का तरीका बता रही है। साथ ही उन्हें सिखा रही है कि प्रभावित अंगों की नियमित साफ सफाई और व्यायाम से मरीज को काफी आराम मिलता है। जिले में जनवरी से अब तक 700 से अधिक मरीजों को एमएमडीपी किट दी जा चुकी है। यह किट चौदह ब्लॉक, शहरी क्षेत्र और फाइलेरिया यूनिट पर कार्यक्रम का आयोजन कर दी गयी।

सहायक मलेरिया अधिकारी चंद्र प्रकाश मिश्रा ने बताया कि मरीजों को एमएमडीपी किट देने के साथ उसके इस्तेमाल के बारे में भी बताया जाता है । उन्हें बताया जाता है कि हाथीपांव के मरीज को सबसे पहले प्रभावित अंग को टब में रखना है और फिर मग से धीरे धीरे पानी प्रभावित अंग पर डालना चाहिए। पानी न तो ठंडा हो और न ही गरम होना चाहिए। इसके बाद साबुन को हाथों में रगड़ कर झाग बना लेना चाहिए और फिर उसी झाग को हल्के हाथों से प्रभावित अंग पर धीरे-धीरे मलना है। इसके बाद धीरे धीरे पानी डाल कर प्रभावित अंग को धोना है। फिर साफ कॉटन से हल्के हाथ से बिना रगड़े अंग को साफ करना है। अगर प्रभावित अंग कहीं कटा पिटा है तो वहां क्रीम लगाना है । रोजाना ऐसा करने से प्रभावित अंग साफ रहता है और आराम भी मिलता है। हाथीपांव की साफ सफाई के अलावा मरीज को नियमित एड़ियों के सहारे खड़ा होकर व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि प्रभावित अंग को सहारा देकर रखें और उसे ज्यादा देर तक लटका कर रखने से बचें। बेड पर सोते समय पैर की तरफ दो तकिया लगा लें या बेड के नीचे पैर की तरफ ईंट रख कर उसे ऊंचा कर लें।

पिपराईच ब्लॉक के सरण्डा गांव के निवासी कोमल (60) ने बताया कि वह गांव में बने फाइलेरिया मरीज सहायता समूह (पीएसजी) के सदस्य हैं । पिपराईच ब्लॉक में फरवरी माह में एमएमडीपी किट वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम में पीएसजी के सदस्यों को भी बुलाया गया था । वह भी कार्यक्रम में गये थे जहां फाइलेरिया से बचाव और व्यायाम के बारे में जानकारी दी गयी । एक बाल्टी, एक टब, एक मग, एक तौलिया, एक साबुन और एक मलहम (क्रीम) दिया गया और इसके प्रयोग के बारे में बताया गया । नियमित साफ सफाई और व्यायाम से काफी आराम मिल रहा है ।

सफाई और व्यायाम श्रेयस्कर : जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह का कहना है कि एक बार हाथीपांव हो जाने पर उसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन साफ सफाई और नियमित व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है और इससे काफी आराम भी मिलता है । हाथीपांव के प्रथम और द्वितीय चरण में व्यायाम काफी लाभकारी होता है । अगर पैरों में रात में सूजन हो जो सुबह अपने आप ठीक हो जाए तो यह हाथीपांव का पहला चरण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए । मच्छरों से बचाव और साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया मरीजों को और जिन्हें फाइलेरिया नहीं है उन्हें भी दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन करना है ।

1500 लोगों का संवेदीकरण : जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि अब तक करीब 1500 लोगों को इस बीमारी से बचाव और प्रबन्धन के बारे में जागरूक किया जा चुका है, जिनमें मुख्यतया फाइलेरिया मरीज और उनके संरक्षक शामिल हैं। पिपराईच ब्लॉक में मरीज सहायता समूह (पीएसजी) और स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) सहयोग कर रहे हैं । जिले में हाथीपांव के 1983 मरीज हैं । जिन मरीजों को एमएमडीपी किट पिछले साल नहीं मिल पाई थी उन्हें इस साल किट दी जा रही है । इस साल ब्रह्मपुर, सरदारनगर, भटहट, डेरवा, पाली, सहजनवां, पिपरौली, खोराबार, कैम्पियरगंज, पिपराईच, उरूवा, गोला, कौड़ीराम, शहरी क्षेत्र और फाइलेरिया यूनिट से किट वितरित की गयी है । चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी मंगलवार को किट का वितरण किया गया । अगर किसी को किट नहीं मिला है तो वह असुरन के लालकोठी स्थित फाइलेरिया यूनिट या अपने नजदीकी ब्लॉक अस्पताल से सम्पर्क कर किट प्राप्त कर सकता है ।