कोरोना की पहली लहर में भारत में बढ़ा एंटीबायोटिक का दुरुपयोग, अध्ययन में किया गया दावा



भारत में पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग बढ़ा। इन दवाओं का इस्तेमाल संक्रमण के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों के इलाज में किया गया। एक अध्ययन में यह बात कही गई है। अमेरिका में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 के कारण भारत में कोविड-19 के चरम पर होने यानी जून 2020 से सितंबर 2020 के दौरान वयस्कों को दी गई एंटीबायोटिक की 21.64 करोड़ और एजिथ्रोमाइसिन दवाओं की 3.8 करोड़ की अतिरिक्त बिक्री होने का अनुमान है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दवाओं का ऐसा दुरुपयोग अनुचित माना जाता है क्योंकि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया के संक्रमण के खिलाफ प्रभावी होती है न कि कोविड-19 जैसे वायरल संक्रमण के खिलाफ असरदार होती हैं। एंटीबायोटिक्स के जरूरत से अधिक इस्तेमाल ने ऐसे संक्रमण का खतरा बढा दिया है जिस पर इन दवाओं का असर न हो।

पत्रिका पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में जनवरी 2018 से दिसंबर 2020 तक भारत के निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में सभी एंटीबायोटिक्स दवाओं की मासिक बिक्री का विश्लेषण किया गया है। इसके आंकड़ें अमेरिका स्थित स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी आईक्यूवीआईए की भारतीय शाखा से लिए गए हैं।